Question 1:
निम्नलिखित प्रश्न का उत्तर एक-दो पंक्तियों में दीजिए −हीरे के प्रेमी उसे किस रुप में पसंद करते हैं?
Answer :
हीरे
के प्रेमी उसे
साफ़ सुथरा
खरीदा हुआ,
आँखों
में चकाचौंध
पैदा करता हुआ
पसंद करते हैं।
Question 2:
निम्नलिखित प्रश्न का उत्तर एक-दो पंक्तियों में दीजिए −लेखक ने संसार में किस प्रकार के सुख को दुर्लभ माना है?
Answer :
लेखक
ने संसार में
अखाड़े की मिट्टी
में लेटने,
मलने
के सुख को दुर्लभ
माना है क्योंकि
यह मिट्टी तेल
और मट्ठे से
सिझाई जाती है
और पवित्र होती
है। इसे देवता
के सिर पर भी
चढ़ाया जाता
है।
Question 3:
निम्नलिखित प्रश्न का उत्तर एक-दो पंक्तियों में दीजिए −मिट्टी की आभा क्या है? उसकी पहचान किससे होती है?
Answer :
मिट्टी
की आभा धूल है,
उसकी
पहचान धूल से
होती है।
Question क-1:
निम्नलिखित प्रश्न का उत्तर (25-30 शब्दों में) लिखिए −धूल के बिना किसी शिशु की कल्पना क्यों नहीं की जा सकती?
Answer :
धूल
का जीवन में बहुत महत्व है। विशेषकर शिशु के लिए। यह धूल जब शिशु के मुख
पर पड़ती है तो उसकी शोभा और भी बढ़ जाती है। धूल में लिपटे रहने पर ही
शिशु की सुंदरता बढ़ती है। तभी वे धूल भरे हीरे कहलाते हैं। धूल के बिना
शिशु की कल्पना ही नहीं की जा सकती। धूल उनका सौंदर्य प्रसाधन है।
Question ख-1:
निम्नलिखित प्रश्न का उत्तर (50-60 शब्दों में) लिखिए −लेखक 'बालकृष्ण' के मुँह पर छाई गोधूलि को श्रेष्ठ क्यों मानता है?
Answer :
लेखक 'बालकृष्ण' के
मुँह पर लगी धूल को श्रेष्ठ इसलिए मानता है क्योंकि इससे उनका सौंदर्य और
भी निखर आता है। धूल उनके सौंदर्य को और भी बढ़ा देती है। फूल के ऊपर जो
धूल शोभा बनती है, वह शिशु के मुख पर उसकी सहज
पार्थिवता को निखार देती है। बनावटी प्रसाधन भी वह सुंदरता नहीं दे पाते।
धूल से उनकी शारीरिक कांति जगमगा उठती है
Question ग-1:
निम्नलिखित का आशय स्पष्ट कीजिए −फूल के ऊपर जो रेणु उसका श्रृंगार बनती है, वही धूल शिशु के मुँह पर उसकी सहज पार्थिवता को निखार देती है।
Answer :
इस
कथन का आशय यह है कि फूल के ऊपर अगर थोड़ी सी धूल आ जाती है तो ऐसा लगता
है मानों फूल सज गया है। उसी तरह जब बच्चे अथवा शिशु के मुख पर धूल लगती है
तो एक सहज सौंदर्य लाती है। ऐसा सौंदर्य जो कृत्रिम सौंदर्य सामग्री को
बेकार कर देता है। अत: धूल कोई व्यर्थ की वस्तु नहीं है।
Question क-2:
निम्नलिखित प्रश्न का उत्तर (25-30 शब्दों में) लिखिए −हमारी सभ्यता धूल से क्यों बचना चाहती है?
Answer :
हमारी
सभ्यता धूल से बचना चाहती है क्योंकि धूल के प्रति उनमें हीन भावना है।
धूल को सुंदरता के लिए खतरा माना गया है। इस धूल से बचने के लिए ऊँचे-ऊँचे आसमान में घर बनाना चाहते हैं जिससे धूल से उनके बच्चे बचें। वे कृत्रिम चीज़ों को पसंद करते हैं, कल्पना में विचरते रहना चाहते हैं, वास्तविकता से दूर रहते हैं।
Question ख-2:
निम्नलिखित प्रश्न का उत्तर (50-60 शब्दों में) लिखिए −लेखक ने धूल और मिट्टी में क्या अंतर बताया है?
Answer :
लेखक ने धूल और मिट्टी में बहुत अंतर बताया है। दोनों एक दूसरे के पूरक हैं, मिट्टी रुप है तो धूल प्राण है। मिट्टी की आभा धूल है तो मिट्टी की पहचान भी धूल है।
Question ग-2:
निम्नलिखित का आशय स्पष्ट कीजिए −'धन्य-धन्य वे हैं नर मैले जो करत गात कनिया लगाय धूरि ऐसे लरिकान की' − लेखक इन पंक्तियों द्वारा क्या कहना चाहता है?
Answer :
इस
पंक्ति का आशय यह है कि वे व्यक्ति धन्य हैं जो धूल से सने बालकों को अपनी
गोद में उठाते हैं और उन पर लगी धूल का स्पर्श करते हैं। बच्चों के साथ
उनका शरीर भी धूल से सन जाता है। लेखक को 'मैले' शब्द में हीनता का बोध होता है क्योंकि वह धूल को मैल नहीं मानते। 'ऐसे लरिकान' में भेदबुद्धी नज़र आती है। अत: इन पंक्तियों द्वारा लेखक धूल को पवित्र और प्राकृतिक श्रृंगार का साधन मानते हैं
Question क-3:
निम्नलिखित प्रश्न का उत्तर (25-30 शब्दों में) लिखिए −अखाड़े की मिट्टी की क्या विशेषता होती है?
Answer :
अखाड़े
की मिट्टी साधारण मिट्टी नहीं होती। यह बहुत पवित्र मिट्टी होती है। यह
मिट्टी तेल और मट्ठे से सिझाई हुई होती है। इसको देवता पर चढ़ाया जाता है।
पहलवान भी इसकी पूजा करते हैं। यह उनके शरीर को मजबूत करती है। संसार में
उनके लिए इस मिट्टी से बढ़कर कोई सुख नहीं।
Question ख-3:
निम्नलिखित प्रश्न का उत्तर (50-60 शब्दों में) लिखिए −ग्रामीण परिवेश में प्रकृति धूल के कौन-कौन से सुंदर चित्र प्रस्तुत करती है?
Answer :
ग्रामीण परिवेश में प्रकृति धूल के सुंदर चित्र प्रस्तुत किए है−1. अमराइयों के पीछे छिपे सूर्य की किरणें धूल पर पड़ती है तब ऐसा प्रतीत होता है मानो आकाश पर सोने की परत छा गई हो।
2. पशुओं के खुरों से उड़ती धूल तथा गाड़ियों के निकलने से उड़ती धूल रुई के बादलों के समान लगती है।
3. अखाड़े में सिझाई हुई धूल का अपना प्रभाव है।
4. धूल से सने हुए बच्चे फूल और हीरे जैसे लगते हैं।
Question ग-3:
निम्नलिखित का आशय स्पष्ट कीजिए −मिट्टी और धूल में अंतर है, लेकिन उतना ही, जितना शब्द और रस में, देह और प्राण में, चाँद और चाँदनी में।
Answer :
लेखक
मिट्टी और धूल में अंतर बताता है परन्तु इतना ही कि वह एक दूसरे के पूरक
हैं। मिट्टी की चमक का नाम धूल है। एक के बिना दूसरे की कल्पना नहीं की जा
सकती। जैसे चाँद के बिना चाँदनी नहीं होती, देह
के बिना प्राण नहीं होते। यदि शब्द न हो तो लेख या कविता में रस कहाँ से
आएगा। उसी तरह मिट्टी के रंग रुप की पहचान धूल से ही होती है।
Question क-4:
निम्नलिखित प्रश्न का उत्तर (25-30 शब्दों में) लिखिए −श्रद्धा, भक्ति, स्नेह की व्यंजना के लिए धूल सर्वोत्तम साधन किस प्रकार है।
Answer :
धूल को माथे से लगाकर मातृभूमि के प्रति श्रद्धा प्रकट करते हैं, धूल में सने शिशु को चूमकर अपना स्नेह प्रकट करते हैं तथा धूल को स्पर्श कर अपना जीवन पाते हैं। अत: धूल श्रद्धा, भक्ति, स्नेह को प्रकट करने का सर्वोत्तम साधन है
Question ख-4:
निम्नलिखित प्रश्न का उत्तर (50-60 शब्दों में) लिखिए −'हीरा वही घन चोट न टूटे' −का संदर्भ पाठ के आधार पर स्पष्ट कीजिए।
Answer :
हीरा
एक कठोर धातू है जो हथौड़े की चोट से भी नहीं टूटता परन्तु काँच एक ही चोट
में टूट जाता है। हीरे और काँच की चमक में भी अंतर है। परीक्षण से यह बात
सिद्ध हो जाती है। इसी तरह ग्रामीण लोग हीरे के समान होते हैं − मजबूत सुदृढ़। वे कठिनाइयों से नहीं घबराते यह पहचान उनका समय ही कराता है।
Question क-5:
निम्नलिखित प्रश्न का उत्तर (25-30 शब्दों में) लिखिए −इस पाठ में लेखक ने नगरीय सभ्यता पर क्या व्यंग्य किया है?
Answer :
नगरीय सभ्यता में सहजता के स्थान पर कृत्रिमता पर ज़ोर रहता है। वे धूल से बचना चाहते हैं, उससे
दूर रहना चाहते हैं। उन्हें काँच के हीरे अच्छे लगते हैं। वे वास्तविकता
से दूर रहकर बनावटी जीवन जीते हैं। इस तरह लेखक ने धूल पाठ में नगरीय
सभ्यता पर व्यंग्य किया है।
Question ख-5:
निम्नलिखित प्रश्न का उत्तर (50-60 शब्दों में) लिखिए −धूल, धूलि, धूली, धूरि और गोधूलि की व्यंजनाओं को स्पष्ट कीजिए।
Answer :
धूल, धूलि, धूली, धूरि और गोधूलि का रंग एक ही है चाहे रुप अलग है।- 'धूल' जीवन का यथार्थवादी गद्य है।
- 'धूलि' उसी जीवन की कविता है।
- 'धूली' छायावादी दर्शन है।
- 'धूरि' लोक संस्कृति का नवीन संस्करण है।
- 'गोधूलि' गायों एवं ग्वालों के पैरों से उड़ने वाली धूलि है
Question ख-6:
निम्नलिखित प्रश्न का उत्तर (50-60 शब्दों में) लिखिए −'धूल' पाठ का मूल भाव स्पष्ट कीजिए।
Answer :
लेखक
धूल का महत्व स्थापित करना चाहता है। लेखक ग्रामीण सभ्यता में धूल की
महिमा का गुणगान करता है। इस पाठ के माध्यम से लेखक आज की संस्कृति की
आलोचना करते हुए कहता है कि शहरी लोग धूल की महत्ता को नहीं समझते, उससे बचने की कोशिश करते हैं। जिस धूल मिट्टी से हमारा शरीर बना है, हम
उसी से दूर रहना चाहते हैं। लेखक छोटी किंतु प्राकृतिक महत्वपूर्ण चीज़
धूल के महत्व को बताना चाहता है और उसका सम्मान करने की प्रेरणा देता है।
Question ख-7:
निम्नलिखित प्रश्न का उत्तर (50-60 शब्दों में) लिखिए −कविता को विडंबना मानते हुए लेखक ने क्या कहा है?
Answer :
लेखक
ने जब एक पुस्तक विक्रेता द्वारा भेजा निंमत्रण पत्र पढ़ा कि गोधूलि की
बेला में आने का आग्रह था तो उसने इसे कविता की विडंबना माना क्योंकि
कवियों ने गोधूलि की महिमा बताई है परन्तु यह गोधूलि गायों ग्वालों के पैरो
से उड़ती ग्राम की धूलि थी शहरी लोग इसकी सुंदरता और महत्ता को कहाँ समझ
पाते हैं। इसका अनुभव तो गाँव में रहकर ही किया जा सकता है। यहाँ तक कि
कविता के पास भी इसके महत्व के बयान की क्षमता नहीं होती।
Question ग-4:
निम्नलिखित का आशय स्पष्ट कीजिए −हमारी देशभक्ति धूल को माथे से न लगाए तो कम-से-कम उस पर पैर तो रखे।
Answer :
लेखक देशभक्ति की बात कहकर यह कहना चाहता है कि वीर योद्धा अपनी मातृभूमि के प्रति श्रद्धा प्रकट करते हैं, धूल मस्तक पर लगाते हैं, किसान धूल में ही सन कर काम करता है, अपनी मिट्टी पर प्यार और श्रद्धा
रखता है। उसी तरह हमें भी धूल से बचने की कोशिश नहीं करनी चाहिए। अगर माथे
से नहीं लगा सकते तो कम से कम पैरों से तो उसे स्पर्श करें। उसे हीन न
माने।
Question ग-5:
निम्नलिखित का आशय स्पष्ट कीजिए −वे उलटकर चोट भी करेंगे और तब काँच और हीरे का भेद जानना बाकी न रहेगा।
Answer :
हीरा
बहुत मज़बूत होता है इसलिए हीरा ग्रामीण सभ्यता का प्रतीक है। काँच शहरी
सभ्यता का प्रतीक है क्योंकि एक चोट से टूट जाता है और बिखर कर दूसरों को
भी चोट पहुँचाता है। हीरा, काँच के समान हथौड़े की चोट से भी नहीं टूटता।
ये बात दोनों के परीक्षण के बाद ही पता लगती है। हीरा काँच को काटता है।
उसी तरह ग्रामीण, हीरे की तरह मज़बूत और सुदृढ़ होते हैं। वे उलटकर वार भी कर सकते हैं। समय का हथौड़ा इस सच्चाई को सामने लाता है।
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